Sunday 30 September 2012
Saturday 29 September 2012
807_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र
लोकोऽयं
कर्मबन्धनः।
तदर्थ
कर्म कौन्तेय
मुक्तसंगः
समाचर।।
'यज्ञ
के निमित्त
किये जाने
वाले कर्मों
से अतिरिक्त
दूसरे कर्मों
में लगा हुआ
ही यह
मनुष्य-समुदाय
कर्मों से
बँधता है।
इसलिए हे
अर्जुन ! तू
आसक्ति से
रहित होकर उस
यज्ञ के
निमित्त ही
भली भाँति
कर्त्तव्य
कर्म कर।'
(भगवद्
गीताः 3.9)Friday 28 September 2012
Wednesday 26 September 2012
802_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
लखा जो चाहे अलख को। इन्हीं में तू लख लेह ||
किसी भी देश की सच्ची संपत्ति संतजन ही होते है | ये जिस समय आविर्भूत होते हैं, उस समय के जन-समुदाय के लिए उनका जीवन ही सच्चा पथ-प्रदर्शक होता है | एक प्रसिद्ध संत तो यहाँ तक कहते हैं कि भगवान के दर्शन से भी अधिक लाभ भगवान के चरित्र सुनने से मिलता है और भगवान के चरित्र सुनने से भी ज्यादा लाभ सच्चे संतों के जीवन-चरित्र पढ़ने-सुनने से मिलता है |
Tuesday 25 September 2012
Monday 24 September 2012
Sunday 23 September 2012
Saturday 22 September 2012
Friday 21 September 2012
Wednesday 19 September 2012
Tuesday 18 September 2012
Monday 17 September 2012
Sunday 16 September 2012
Saturday 15 September 2012
785_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
-Pujya asharam ji bapu
Friday 14 September 2012
Wednesday 12 September 2012
779_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
वास्तव में
न तो कोई जीता
है न कोई मरता
है, केवल
प्रकृति में
परिवर्तन
होता है। इस
परिवर्तन में
अपनी स्वीकृति
तो जीवन लगता
है और इस
परिवर्तन में
बिना इच्छा के
खिंचा जाना,
घसीटा जाना,
जबरन उसको स्वीकार
करना पड़े यह
मौत जैसा लगता
है।
जा मरने ते जग डरे, मोरे मन आनन्द ।
-Pujya asharam ji bapu
Tuesday 11 September 2012
Monday 10 September 2012
Sunday 9 September 2012
Saturday 8 September 2012
Friday 7 September 2012
Thursday 6 September 2012
Wednesday 5 September 2012
765_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
क्रिया
में बन्धन
नहीं होता,
क्रिया के भाव
में बन्धन और
मुक्ति
निर्भर है।
कर्म में
बन्धन और
मुक्ति नहीं,
कर्त्ता के
भाव में बन्धन
और मुक्ति है।
कर्त्ता किस
भाव से कर्म
कर रहा है ? राग से
प्रेरित होकर कर
रहा है ?
द्वेष से
प्रेरित होकर
कर रहा है ? वासना
से प्रेरित
होकर कर रहा
है ? .....कि
परमात्मा-स्नेह
से कर रहा है ?
-Pujya asharam ji bapu
Monday 3 September 2012
Sunday 2 September 2012
Saturday 1 September 2012
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