Friday 30 November 2012

941_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

परमात्मा के स्वभाव में स्नेह और उदारता है। अपना स्वभाव भी वैसा बनाते जाएँगे तो परमात्मा में मिलते जाएँगे। यही जीवन की इतिकर्त्तव्यता है।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Thursday 29 November 2012

940_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

परिस्थितियाँ तो चाहे जितनी बनें, उसमें संतोष नहीं होगा। लोभ बढ़ेगा, इच्छाएँ बढेंगी, वासना बढ़ेगी, संतोष नहीं होगा। संतोष तो स्व-आत्मा में ही होगा और कहीं न होगा।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Wednesday 28 November 2012

939_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जोगी मत जा पाँव पड़ूँ मैं तोरी
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मत जा मत जा मत जा जोगी
पाँव पड़ूँ मैं तोरी

प्रेम भक्ति को पंथ ही न्यारो
हम को ज्ञान बता जा
चंदन की मैं चिता रचाऊँ
अपने हाथ जला जा 
मत जा मत जा मत जा जोगी ...

जल जल भई भस्म की ढेरी
अपने अंग लगा जा जोगी
मीरा के प्रभू गिरिधर नागर
ज्योत में ज्योत मिला जा जोगी
मत जा मत जा मत जा जोगी ...

938_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

कभी व्यर्थ की निन्दा होने लगेगी। इससे भयभीत न हुए तो बेमाप प्रशंसा मिलेगी। उसमें भी न उलझे तब प्रियतम परमात्मा की पूर्णता का साक्षात्कार हो जाएगा।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Tuesday 27 November 2012

937_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

वर्त्तमान का आदर करने से चित्त शुद्ध होता है। भूत-भविष्य की कल्पना छोड़कर वर्त्तमान में स्थित रहना यह वर्त्तमान का आदर हुआ।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

936_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

व्यक्ति जितना निःस्वार्थ होता है उतनी उसकी सुषुप्त जीवनशक्ति विकसित होती है। आदमी जितना स्वार्थी होता है उतनी उसकी योग्यताएँ कुण्ठित हो जाती हैं। 
-Pujya Asharam Ji Bapu

Monday 26 November 2012

935_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

किसी के दुकान-मकान, धन-दौलत छीन लेना कोई बड़ा जुल्म नहीं है | उसके दिल को मत तोड़ना क्योंकि उस दिल में दिलबर खुद रहता है |
-Pujya Asharam Ji Bapu

934_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अवस्था का सुख देह से एक होकर मिलता है, लेकिन सत्य का साक्षात्कार जब देह से एक होना भूलते हैं और परमात्मा से एक होते हैं तब होता है
 -Pujya Asharam Ji Bapu

Sunday 25 November 2012

933_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

इच्छा मात्र, चाहे वह राजसिक हो या सात्त्विक हो, हमको अपने स्वरूप से दूर ले जाती है। ज्ञानवान इच्छारहित पद में स्थित होते हैं। चिन्ताओं और कामनाओं के शान्त होने पर ही स्वतंत्र वायुमण्डल का जन्म होता है।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

932_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सफलता का रहस्य है आत्म-श्रद्धा, आत्म-प्रीति, अन्तर्मुखता, प्राणीमात्र के लिए प्रेम, परहित-परायणता।
परहित बस जिनके मन मांही
                                               तिनको जग दुर्लभ कछु नाहीं ।।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

Saturday 24 November 2012

Friday 23 November 2012

930_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जो लोग रूचि के अनुसार सेवा करना चाहते हैं, उनके जीवन मे बरकत नहीं आती। किन्तु जो आवश्यकता के अनुसार सेवा करते हैं, उनकी सेवा रूचि मिटाकर योग बन जाती है।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Thursday 22 November 2012

929_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

'मनुष्य-जन्म दुर्लभ है अतः इस 'मनुष्य-जन्म का सदुपयोग करें। दुनिया में ऐसा कुछ कर लें कि हमारे पदचिह्न पर चलकर अन्य लोग भी अपना भाग्य बना लें।'
-Pujya Asharam Ji Bapu

928_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जिसकी श्रद्धा नष्ट हुई, समझो उसका सब कुछ नष्ट हो गया। इसलिए ऐसे व्यक्तियों से बचें, ऐसे वातावरण से बचें जहाँ हमारी श्र्द्धा और संयम घटने लगे। जहाँ अपने धर्म के प्रति, महापुरुषों के प्रति हमारी श्रद्धा डगमगाये ऐसे वातावरण और परिस्थितियों से अपने को बचाओ।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

927_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

वास्तव में मान लेने की चीज नहीं, सुख लेने की चीज नहीं, देने की चीज है। जो तुम दे सकते हो वह अगर ईमानदारी से देने लग जाओ तो जो तुम पा सकते हो वह अपने आप आ जाएगा।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Wednesday 21 November 2012

926_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

यदि सुख भोगना चाहते हो तो मन, बुद्धि और इन्द्रियों को अपने दास बनाओ। उनके अधीन होकर अपना अमूल्य जीवन नष्ट मत करो।
-Pujya Asharam Ji Bapu

925_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अपने को हीन समझना और परिस्थितियों के सामने झुक जाना आत्महनन के समान है। तुम्हारे अन्दर ईश्वरीय शक्ति है। उस शक्ति के द्वारा तुम सब कुछ करने में समर्थ हो। परिस्थितियों को बदलना तुम्हारे हाथ में है।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

Tuesday 20 November 2012

924_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

योगवाशिष्ठ में आता है कि 'चिन्तामणि' के आगे जो चिन्तन करो वह चीज मिलती है लेकिन सत्पुरुष के आगे जो चीज माँगोगे वही चीज वे नहीं देंगे, मगर जिसमें तुम्हारा हित होगा वही देंगे। कामधेनु के आगे जो कामना करोगे वह पदार्थ देगी लेकिन उससे आपका भविष्य सुधरता है या बिगड़ता है, आपकी आसक्ति बढ़ती है या घटती है यह कामधेनु की जवाबदारी नहीं। उसकी यह जिम्मेदारी नहीं है लेकिन सदगुरु आपके हित-अहित के बारे में भली प्रकार निगरानी रखते हैं।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Monday 19 November 2012

923_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जीवन में ऐसे कर्म किये जायें कि एक यज्ञ बन जाय। दिन में ऐसे कर्म करो कि रात को आराम से नींद आये। जीवन में ऐसे कर्म करो कि जीवन की शाम होने से पहले जीवनदाता से मुलाकात हो जाय। 
 -Pujya Asharam Ji Bapu

922_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

यह भी बीत जायेगी

सुख में फूलो मत । दुःख में निराश न बनो । सुख और दुःख दोनों ही बीत जायेंगे । कैसी भी परिस्थिति आये उस समय मन को याद दिलायें कि यह भी बीत जायेगी ।

Even that shall pass too.

इस सूत्र को सदैव याद रखें । मन इससे शांत रहेगा और राग-द्वेष कम होता जायेगा ।
-Pujya Asharam Ji Bapu

921_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते।
वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः।।
'बहुत जन्मों के बाद तत्त्वज्ञान को प्राप्त हुआ ज्ञानी पुरुष 'सब कुछ वासुदेव ही है' – इस प्रकार मुझको भजता है। वह महात्मा अति दुर्लभ है।'
(गीताः 7.19)

Sunday 18 November 2012

920_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

विश्वं स्फुरति यत्रेदं तरंगा इव सागरे
तत्त्वमेवसन्देहश्चिन्मूर्ते विज्वरो भव ।।
श्रद्धत्स्व तात श्रद्धत्स्व नात्र मोहं कुरुष्व भोः
ज्ञानस्वरूपो भगवानात्मा त्वं प्रकृतेः परः।।

'जहाँ से यह संसार, सागर में तरंगों की तरह स्फुरित होता है सो तू ही है, इसमें सन्देह नहीं। हे चैतन्यस्वरूप ! संताप रहित हो। हे सौम्य ! हे प्रिय ! श्रद्धा कर, श्रद्धा कर। इसमें मोह मत कर। तू ज्ञानस्वरूप, ईश्वर, परमात्मा, प्रकृति से परे है।'
(अष्टावक्रगीता)

Saturday 17 November 2012

919_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जिसने अपना मन जीत लिया, उसने समस्त जगत को जीत लिया । वह राजाओं का राजा है, सम्राटों का भी सम्राट है ।
-Pujya Asharam Ji Bapu

918_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

दोनों की सूरत एक है किसको खुदा कहें?
तुझे खुदा कहें कि उसे खुदा कहें?

Friday 16 November 2012

917_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मुस्कुराकर गम का जहर जिनको पीना आ गया।
यह हकीकत है कि जहाँ में उनको जीना आ गया।।
सुख और दुःख हमारे जीवन के विकास के लिए नितान्त आवश्यक है। चलने के लिए दायाँ और बायाँ पैर जरूरी है, काम करने के लिए दायाँ और बायाँ हाथ जरूरी है, चबाने के लिए ऊपर का और नीचे का जबड़ा जरूरी है वैसे ही जीवन की उड़ान के लिए सुख व दुःखरूपी दो पंख जरूरी हैं।
-Pujya Asharam Ji Bapu

916_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

श्रद्धा बनी रहे उसके लिए क्या करना चाहिए ? अपनी श्रद्धा, स्वास्थ्य और सूझबूझ को बुलंद बनाये रखने एवं विकसित करने के लिए अपना आहार शुद्ध रखें यदि असात्त्विक आहार के कारण मन में जरा भी मलिनता आती है तो श्रद्धा घटने लगती है अत: श्रद्धा को बनाये रखने के लिए आहार शुद्धि का ध्यान रखें
 -Pujya Asharam Ji Bapu

Thursday 15 November 2012

915_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

हरिरस को, हरिज्ञान को, हरिविश्रान्ति को पाये बिना जिसको बाकी सब व्यर्थ व्यथा लगती है, ऐसे साधक की अनन्य भक्ति जगती है।
-Pujya Asharam Ji Bapu

914_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

निर्मल मन जन सो मोहि पावा ।
मोही कपट छल छिद्र न भावा ।
( रामायण )

913_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

"तू अकेला नहीं, मैं भी तेरे साथ  हूँ।"
-Pujya Asharam Ji Bapu

Tuesday 13 November 2012

912_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

प्रसन्नता और समता

प्रसन्नता बनाये रखने और उसे बढ़ाने का एक सरल उपाय यह है कि सुबह अपने कमरे में बैठकर जोर-से हँसो आज तक जो सुख-दु: आया वह बीत गया और जो आयेगा वह बीत जायेगा जो होगा, देखा जायेगा आज तो मौज में रहो
-Pujya Asharam Ji Bapu

Sunday 11 November 2012

911_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


प्रार्थना और पुकार से भावनाओं का विकास होता है, प्राणायाम से प्राण बल बढ़ता है, सेवा से क्रियाबल बढ़ता है और सत्संग से समझ बढ़ती है। ऊँची समझ से सहज समाधि अपना स्वभाव बन जाता है।
-Pujya Asharam Ji Bapu

910_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

!!! SHUBH DEEPAVALI !!!

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शुभ दीपावली

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909_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

**** शुभ दीपावली ******

908_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

दीपावली पर लक्ष्मीप्राप्ति की सचोट साधना-विधि

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धनतेरस से आरंभ करें


सामग्रीः दक्षिणावर्ती शंख, केसर, गंगाजल का पात्र, धूप अगरबत्ती, दीपक, लाल वस्त्र।

विधिः साधक अपने सामने गुरुदेव व लक्ष्मी जी के फोटो रखे तथा उनके सामने लाल रंग का वस्त्र (रक्त कंद) बिछाकर उस पर दक्षिणावर्ती शंख रख दे। उस पर केसर से सतिया बना ले तथा कुमकुम से तिलक कर दे। बाद में स्फटिक की माला से मंत्र की 7 मालाएँ करे। तीन दिन तक ऐसा करना योग्य है। इतने से ही मंत्र-साधना सिद्ध हो जाती है। मंत्रजप पूरा होने के पश्चात् लाल वस्त्र में शंख को बाँधकर घर में रख दें। कहते हैं – जब तक वह शंख घर में रहेगा, तब तक घर में निरंतर उन्नति होती रहेगी।

मंत्रः ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं महालक्ष्मी धनदा लक्ष्मी कुबेराय मम गृह स्थिरो ह्रीं ॐ नमः।

  (स्रोत - पर्वों का पुंज-दीपावली )

Saturday 10 November 2012

907_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

'श्री गुरु गीता' में भगवान शंकर भी भगवती पार्वती से कहते हैं –
यस्य स्मरणमात्रेण ज्ञानमुत्पद्यते स्वयम्
सः एव सर्वसम्पत्तिः तस्मात्संपूजयेद् गुरुम् ।।

जिनके स्मरण मात्र से ज्ञान अपने आप प्रकट होने लगता है और वे ही सर्व (शमदमादि) सम्पदा रूप हैं, अतः श्री गुरुदेव की पूजा करनी चाहिए।

906_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



अपनी और दूसरों की भलाई के लिए सत्कर्म करते रहो। फल की इच्छा से ऊपर उठ जाओ क्योंकि इच्छा बंधन में डालती है।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

Friday 9 November 2012

905_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जिस प्रकार धुआँ सफेद मकान को काला कर देता है, उसी प्रकार विषय-विकार एवं कुसंग नेक व्यक्ति का भी पतन कर देते है।
'सत्संग तारे, कुसंग डुबोवे।'
-Pujya Asharam Ji Bapu

904_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

नश्वर दुनियाँ की क्या इच्छा करना ? अपने राम में मस्त रहो । ॐ.....ॐ.....ॐ.....
-Pujya Asharam Ji Bapu

903_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जब तक देहाभिमान की नालियों में पड़े रहोगे तब तक चिन्ताओं के बन्डल तुम्हारे सिर पर लदे रहेंगे।
-Pujya Asharam Ji Bapu

902_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

'ज्ञानवान आत्मपद को पाकर आनंदित होता है और वह आनंद कभी दूर नहीं होता, क्योंकि उसको उस आनंद के आगे अष्टसिद्धियाँ तृण के समान लगती हैं।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

Thursday 8 November 2012

901_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

'परमात्मा से हम परमात्मा ही चाहते हैं.... और कुछ नहीं चाहते.....' ऐसी अव्यभिचारिणी भक्ति जिसके हृदय में है, उसके हृदय में भगवान ज्ञान का प्रकाश भर देते हैं।
-Pujya asharam ji bapu

Wednesday 7 November 2012

901_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

संतों के पास आते तो बहुत लोग हैं, परन्तु साधक बनकर वहीं टिक कर तत्त्व का साक्षात्कार करने वाले कुछ विरले ही होते हैं।
 -Pujya asharam ji bapu

900_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

                    सतगुरु बादशाह

899_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मुझ में न तीनों देह हैं, तीनों अवस्थाएँ नहीं ।
मुझ में नहीं बालकपना, यौवन बुढ़ापा है नहीं ।।
जन्मूँ नहीं मरता नहीं, होता नहीं मैं बेश-कम ।
मैं ब्रह्म हूँ मै ब्रह्म हूँ, तिहूँ काल में हूँ एक सम ।।
(भोले बाबा)

Tuesday 6 November 2012

898_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अगर हम असफल हुए हैं, दुःखी हुए हैं तो दुःख का कारण किसी व्यक्ति को मत मानो। अन्दर जाँचों कि तुमको जो प्रेम ईश्वर से करना चाहिए वह प्रेम उस व्यक्ति के बाह्य रूप से तो नहीं किया? इसलिए उस व्यक्ति के द्वारा धोखा हुआ है। जो प्यार परमात्मा को करना चाहिए वह प्यार बाह्य चीजों के साथ कर दिया इसीलिए उन चीजों से तुमको दुःखी होना पड़ा है।
-Pujya asharam ji bapu

897_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

एक घड़ी आधी घड़ी आधी में पुनि आध।
           तुलसी संगत साध की हरे कोटि अपराध।।

896_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जागो.... उठो.... अपने भीतर सोये हुए निश्चयबल को जगाओ सर्वदेश, सर्वकाल में सर्वोत्तम आत्मबल को अर्जित करो। आत्मा मे अथाह सामर्थ्य है। अपने को दीन-हीन मान बैठे तो विश्व में ऐसी कोई सत्ता नहीं जो तुम्हें ऊपर उठा सके।
-Pujya asharam ji bapu

Monday 5 November 2012

895_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


894_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



संसार का सुख क्रिया से आता है, उपलब्ध फल का भोग करने से आता है जबकि आत्मसुख तमाम स्थूल-सूक्ष्म क्रियाओं से उपराम होने पर आता है। सांसारिक सुख में भोक्ता हर्षित होता है और साथ ही साथ बरबाद होता है। आत्मसुख में भोक्ता शांत होता है और आबाद होता है।
-Pujya asharam ji bapu
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