Tuesday 30 April 2013

1081_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


1080_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सदैव भलाई के कार्य करते रहो एवं दूसरों को भी अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करो। यदि नेक कार्य करते रहोगे तो भगवान तुम्हें सदैव अपनी अनन्त शक्ति प्रदान करते रहेंगे।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Monday 29 April 2013

1079_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

नश्वर दुनियाँ की क्या इच्छा करना ? अपने राम में मस्त रहो।
-Pujya Asharam Ji Bapu

1078_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



समग्र संसार के तत्वज्ञान, विज्ञान, गणित, काव्य और कला आपकी आत्मा में से निकलते हैं और निकलते रहेंगे |
 -Pujya Asharam Ji Bapu

Saturday 27 April 2013

1077_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 भौतिक पदार्थों को सत्य समझना, उनमें आसक्ति रखना, दुख-दर्द चिंताओं को आमंत्रण देने के समान है | अतः बाह्य नाम-रूप पर अपनी शक्ति समय को नष्ट करना यह बड़ी गलती है |
 -Pujya Asharam Ji Bapu

1076_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आत्म-ध्यान से, आत्म-चिन्तन से भोक्ता की बरबादी रुकती है। भोक्ता स्वयं आनंदस्वरूप परमात्मामय होने लगता है, स्वयं परमात्मा होने लगता है। परमात्मा होना क्या है.... अनादि काल से परमात्मा था ही, यह जानने लगता है।

 -Pujya Asharam Ji Bapu

Friday 26 April 2013

1075_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


दूसरों से मिलजुलकर काम वही कर सकता है जो अपने अहंकार को दूसरों पर नहीं लादता |

 -Pujya Asharam Ji Bapu

Thursday 25 April 2013

1074_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


आप अन्य लोगों से
जैसा व्यवहार करते हैं
वैसा ही घूम-फिरकर
आपके पास आता है। इसलिए
दूसरों से भलाई का व्यवहार करो।
वह भलाई कई गुनी होकर
वापस लौटेगी।

 -Pujya Asharam Ji Bapu

Wednesday 24 April 2013

1073_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अतीत का शोक और
भविष्य की चिंता
क्यों करते हो?
हे प्रिय !
वर्तमान में साक्षी, तटस्थ और
प्रसन्नात्मा होकर जीयो....

 -Pujya Asharam Ji Bapu

Saturday 20 April 2013

1072_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


ईश कृपा बिन गुरु नहीं,
गुरु बिना नहीं ज्ञान ।
ज्ञान बिना आत्मा नहीं,
 गावहिं वेद पुरान ।।

Thursday 18 April 2013

1071_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

ऐ मन रूपी घोड़े ! तू और छलांग मार। ऐ नील गगन के घोड़े ! तू और उड़ान ले। आत्म-गगन  के विशाल मैदान में विहार कर। खुले विचारों में मस्ती लूट। देह के पिंजरे में कब तक छटपटाता रहेगा ? कब तक विचारों की जाल में तड़पता रहेगा ? ओ आत्मपंछी ! तू और छलांग मार। और खुले आकाश में खोल अपने पंख। निकल अण्डे से बाहर। कब तक कोचले में पड़ा रहेगा ? फोड़ इस अण्डे को। तोड़ इस देहाध्यास को। हटा इस कल्पना को। नहीं हटती तो ॐ की गदा से चकनाचूर कर दे।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Wednesday 17 April 2013

1070_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

एकान्तवासो लघुभोजनादि । मौनं निराशा करणावरोधः।।
मुनेरसोः संयमनं षडेते । चित्तप्रसादं जनयन्ति शीघ्रम् ।।
'एकान्त में रहना, अल्पाहार, मौन, कोई आशा न रखना, इन्द्रिय-संयम और प्राणायाम, ये छः मुनि को शीघ्र ही चित्तप्रसाद की प्राप्ति कराते हैं।'
एकान्तवास, इन्द्रियों को अल्प आहार, मौन, साधना में तत्परता, आत्मविचार में प्रवृत्ति... इससे कुछ ही दिनों में आत्मप्रसाद की प्राप्ति हो जाती है।

Tuesday 16 April 2013

1069_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


कोई आज गया कोई कल गया कोई जावनहार तैयार खड़ा
नहीं कायम कोई मुकाम यहाँ चिरकाल से ये ही रिवाज रहा ।।

Monday 15 April 2013

1068_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

चित्त में जब अकर्तृत्व और अभोक्तृत्व कि निष्ठा जमने लगती है तो वासनाएँ क्षीण होने लगती हैं। फिर वह ज्ञानी यंत्र की पुतली की नाईं चेष्टा करता है।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

1067_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

संसार का तट वैराग्य है । विवेक पैदा
होते ही वैराग्य का जन्म होता है ।
जिसके जीवन में वैराग्यरूपी धन आ
गया है वह धन्य है ।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Sunday 14 April 2013

1066_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

संसार का सम्बन्ध केवल माना हुआ है और भगवान का सम्बन्ध वास्तविक है। संसार का सम्बन्ध तो मनुष्य को पराधीन बनाता है, गुलाम बनाता है, पर भगवान का सम्बन्ध मनुष्य को स्वाधीन बनाता है, चिन्मय बनाता है ।
-Pujya Asharam Ji Bapu

1065_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अज्ञान से, अज्ञानियों के संग से, अज्ञानियों की बातों से अन्तःकरण में अविद्या का निर्माण होता है और जीव दुःख का भागी बनता है।
चित्त में और व्यवहार में जितनी चंचलता होगी, जितनी अज्ञानियों के बीच घुसफुस होगी, जितनी बातचीत होगी उतना अज्ञान बढ़ेगा। जितनी आत्मचर्चा होगी, जितना त्याग होगा, दूसरों के दोष देखने के बजाय गुण देखने की प्रवृत्ति होगी उतना अपने जीवन का कल्याण होगा।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

Saturday 13 April 2013

1064_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 पूजा करते हैं ठाकुरजी की, मंदिर में जाते हैं, मस्जिद में जाते हैं, गिरजाघर में जाते हैं लेकिन चित्त का निर्माण नहीं करते हैं तो संसारयात्रा का अन्त नहीं आता।

चित्त का अज्ञान से निर्माण हुआ इसीलिए यह जगत सत्य भासता है और जरा-जरा सी बातें सुख-दुःख, आकर्षण, परेशानी देकर हमें नोंच रही हैं।
ध्यान के द्वारा, सत्संग के द्वारा चित्त का ठीक रूप में निर्माण करना है, चित्त का परिमार्जन करना है।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

Friday 12 April 2013

1063_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आत्मा परमात्मा विषयक ज्ञान प्राप्त करके नित्य आत्मा की भावना करें। अपने अन्तर्यामी परमात्मा में आनन्द पायें।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Thursday 11 April 2013

1062_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

बुद्धि का फल है भोगों में और संसार की घटनाओं में आग्रह नहीं रहना। बड़ा सिद्ध हो, त्रिकाल ज्ञानी हो लेकिन हेय और उपादेय बुद्धि हो तो वह तुच्छ है।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

1061_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

क्या तुमने
आज किसी की कुछ सेवा की है?
यदि नहीं तो आज का दिन
तुमने व्यर्थ खो दिया। यदि
किसी की कुछ सेवा की है तो
सावधान रहो, मन में कहीं
अहंकार न आ जाय।


-Pujya Asharam Ji Bapu

Wednesday 10 April 2013

1060_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अचल संकल्प-शक्ति, दृढ़ निश्चय और निर्भयता होनी चाहिए। इससे बाधाएँ ऐसी भागती हैं जैसे आँधी से बादल। आँधी चली तो बादल क्या टिकेंगे ?
-Pujya Asharam Ji Bapu

1059_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जो तुम्हें शरीर से, मन से, बुद्धि से दुर्बल बनाये वह पाप है। पुण्य हमेशा बलप्रद होता है। सत्य हमेशा बलप्रद होता है।

 -Pujya Asharam Ji Bapu

Sunday 7 April 2013

1058_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

इन्द्रियार्थेषु वैराग्यं अनहंकार एव च ।
जन्ममृत्युजराव्याधिदु:खदोषानुदर्शन्म्॥

इन्द्रिय विषयों में विरक्त, अहंकार का अभाव, जन्म, मृत्यु, जरा और रोग आदि में दु:ख और दोषों को देखना (यह ज्ञान है) ।

Saturday 6 April 2013

Friday 5 April 2013

1056_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आदमी पहले भीतर से गिरता है फिर बाहर से गिरता है। भीतर से उठता है तब बाहर से उठता है। बाहर कुछ भी हो जाय लेकिन भीतर से नहीं गिरो तो बाहर की परिस्थितियाँ तुम्हारे अनुकूल हो जायेंगी।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

1055_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तुम ईश्वर में डट जाओ। तुम्हारा दुश्मन वही करेगा जो तुम्हारे हित में होगा।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

Wednesday 3 April 2013

1054_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

भगवान को पदार्थ अर्पण करना, सुवर्ण के बर्तनों में भगवान को भोग लगाना, अच्छे वस्त्रालंकार से भगवान की सेवा करना यह सब के बस की बात नहीं है। लेकिन अन्तर्यामी भगवान को प्यार करना सब के बस की बात है।
-Pujya Asharam Ji Bapu

1053_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


जब तक आप अपने अंतःकरण के अन्धकार को दूर करने के लिए कटिबद्ध नहीं होंगे तब तक तीन सौ तैंतीस करोड़ कृष्ण अवतार ले लें फिर भी आपको परम लाभ नहीं होगा |

 -Pujya Asharam Ji Bapu

1052_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सब वस्तुओं में ब्रह्मदर्शन करने में यदि आप सफल न हो सको तो जिनको आप सबसे अधिक प्रेम करते हों ऐसे, कम-से-कम एक व्यक्ति में ब्रह्म परमात्मा का दर्शन करने का प्रयास करो | ऐसे किसी तत्वज्ञानी महापुरुष की शरण पा लो जिनमें ब्रह्मानंद छलकता हो | उनका दृष्टिपात होते ही आपमें भी ब्रह्म का प्रादुर्भाव होने की सम्भावना पनपेगी | जैसे एक्स-रे मशीन की किरण कपड़े, चमड़ी, मांस को चीरकर हड्डियों का फोटो खींच लाती है, वैसे ही ज्ञानी की दृष्टि आपके चित्त में रहने वाली देहाध्यास की परतें चीरकर आपमें ईश्वर को निहारती है | उनकी दृष्टि से चीरी हुई परतों को चीरना अपके लिये भी सरल हो जायेगा | आप भी स्वयं में ईश्वर को देख सकेंगें | अतः अपने चित्त पर ज्ञानी महापुरुष की दृष्टि पड़ने दो | पलकें गिराये बिना, अहोभाव से उनके समक्ष बैठो तो आपके चित्त पर उनकी दृष्टि पड़ेगी |

 -Pujya Asharam Ji Bapu

Tuesday 2 April 2013

1051_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आत्मा में अथाह सामर्थ्य है। अपने को दीन-हीन मान बैठे तो विश्व में ऐसी कोई सत्ता नहीं जो तुम्हें ऊपर उठा सके। अपने आत्मस्वरूप में प्रतिष्ठित हो गये तो त्रिलोकी में ऐसी कोई हस्ती नहीं जो तुम्हें दबा सके।

-Pujya Asharam Ji Bapu

Monday 1 April 2013

1050_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तू मुझे अपना उर आँगन दे दे, मैं अमृत की वर्षा कर दूँ ।

1049_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

ऐसा कौन-सा मनुष्य है जो संयम और श्रद्धा के द्वारा भवसागर से पार न हो सके ? उसे ज्ञान की प्राप्ति न हो ? परमात्म-पद में स्थिति न हो?
 -Pujya Asharam Ji Bapu
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