Wednesday 31 August 2016

1494_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जीवन-शक्ति
 
ईर्ष्या, घृणा, तिरस्कार, भय, कुशंका आदि कुभावों से जीवन-शक्ति क्षीण होती है। दिव्य प्रेम, श्रद्धा, विश्वास, हिम्मत और कृतज्ञता जैसे भावों से जीवन-शक्ति पुष्ट होती है।

   -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Tuesday 30 August 2016

1493_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

निर्भय रहो
 
हे चैतन्यस्वरूप ! तू संकल्प और विकल्पों से चित्त को क्षुब्ध मत कर। मन को शान्त करके अपने आनन्दमय स्वरूप में सुखपूर्वक स्थित हो जा। ब्रह्मदृष्टि को छोड़कर अन्य किसी भाव से किसी वस्तु को मत देखो।

भय और सन्देह से ही तुम अपने को मुसीबतों में डालते हो। किसी बात से अस्थिर और चकित मत हो। अज्ञानियों के वचनों से कभी भय मत करो। सदा सिंहवत् निर्भय रहो।


  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Monday 29 August 2016

1492_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अपने गुरुत्वाकर्षण का केन्द्र तुम आप बनो । स्वाश्रयी बनो । अपने भीतर के आधार और अधिष्ठान को पा लो । दूसरों के मत और आलोचना की परवाह मत करो । असत्य, निंदा, चुगलखोरी और कठोरता इन वाणी के पापों से बचो ।

  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Sunday 28 August 2016

1491_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आत्मज्ञान

जब ऐच्छिक अनुशासन और एकाग्रता के द्वारा अपने मन की
निर्मलता बढ़ती है तब भावातीत चेतना के प्रतिबिम्ब के रूप
में ज्ञान का आविष्कार होता है। 


 -Sri Swami Sivananda Saraswati

Saturday 27 August 2016

1490_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तुलसी पूर्व के पाप से हरिचर्चा नहीं सुहाय।
जैसे ज्वर के जोर से भूख विदा हो जाय।।

Friday 26 August 2016

1489_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मैं भी नहीं और मुझसे अलग अन्य भी कुछ नहीं । साक्षात् आनन्द से परिपूर्ण, केवल, निरन्तर और सर्वत्र एक ब्रह्म ही है । उद्वेग छोड़कर केवल यही उपासना सतत करते रहो ।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Tuesday 23 August 2016

1_Krishna Janmashtami 2016

जन्माष्टमी पर हम संकल्प करें कि गीता के संदेश को, योग के संदेश को, आत्मज्ञान के अमृत को हम भी पीयें तथा जगत में भी इस जगदगुरू का प्रसाद बाँटें।

कृष्णं वन्दे जगद् गुरूम्  ।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

1488_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सारे धनवान लोग मिलकर एक आदमी को उतना सुख नहीं दे सकते जो सदगुरु निगाह मात्र से सत् शिष्य को दे सकते हैं

  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Monday 22 August 2016

1487_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जिस मनुष्य ने भगवत्प्रेमी संतो के चरणों की धूल कभी सिर पर नहीं चढ़ायी, वह जीता हुआ भी मुर्दा है। वह हृदय
नहीं, लोहा है, जो भगवान के मंगलमय नामों का श्रवण-कीर्तन करने पर भी पिघलकर उन्हीं की ओर बह नहीं जाता।


Shrimad Bhagwat

Friday 19 August 2016

1486_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सच्ची समझ

विचारवान पुरूष अपनी विचारशक्ति से विवेक-वैराग्य उत्पन्न करके वास्तव में जिसकी आवश्यकता है उसे पा लेगा। मूर्ख आदमी जिसकी आवश्यकता है उसे समझ नहीं पायेगा और जिसकी आवश्यकता नहीं है उसको आवश्यकता मानकर अपना जीवन खो देगा। उसे चिन्ता होती है कि रूपये नहीं होंगे तो कैसे चलेगा, गाड़ी नहीं होगी तो कैसे चलेगा, अमुक वस्तु नहीं होगी तो कैसे चलेगा।

   -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Thursday 18 August 2016

1485_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


अब तो रुक जाओ 

तुम्हें जितना देखना चाहिए, जितना बोलना चाहिए, जितना सुनना चाहिए, जितना घूमना चाहिए, जितना समझना चाहिए वह सब हो गया। अब, जिससे बोला जाता है, सुना जाता है, समझा जाता है, उसी में डूब जाना ही तुम्हारा फर्ज है। यही तुम्हारी बुद्धिमत्ता का कार्य है, अन्यथा तो जगत का देखना-सुनना खत्म न होगा.... स्वयं ही खत्म हो जायेंगे.....। इसलिए कृपा करके अब रुको। .....हाँ रुक जाओ.... बहुत हो गया। भटकने का अन्त कर दो।


  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Wednesday 17 August 2016

1484_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 पुरुषार्थ क्या है? उससे क्या पाना है?

ज्ञानवान जो संत हैं और सत्शास्त्र में  जो ब्रह्मविद्या है उसके
अनुसार प्रयत्न करने का नामपुरुषार्थ है और पुरुषार्थ से पाने 
योग्य आत्मज्ञान है जिससे जीव संसार समुद्र से पार होता है।


  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Monday 15 August 2016

1482_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

श्री वशिष्ठ जी महाराज कहते हैं- 'हे राम जी! तृष्णावान के हृदय में संत के वचन नहीं ठहरते। तृष्णावान  से तो वृक्ष भी भय पाते हैं' इच्छा-वासना-तृष्णा आदमी की बुद्धि को दबा देती है

-श्री वशिष्ठ जी महाराज

Sunday 14 August 2016

1481_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जिस प्रकार धुआँ सफेद मकान को काला
कर देता है, उसी प्रकार विषय-विकार
एवं कुसंग नेक व्यक्ति का भी पतन कर देते है।


 -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Saturday 13 August 2016

1480_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

लौकिक विद्या तो पाओ ही पर उस विद्या को
भी पा लो जो मानव को जीते जी मृत्यु के पार
पहुँचा देती है। उसे भी जानो जिसके जानने से
सब जाना जाता है, इसी में तो मानव-जीवन
की सार्थकता है। पेटपालू पशुओं की नाईं जिंदगी
बितायी तो क्या बितायी !


 -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Friday 12 August 2016

1479_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

एकमेवाक्षरं यस्तु गुरूः शिष्य प्रबोधयेत
पृथ्वीव्यां नास्ति तदद्रव्यं यद्दत्वाचाऽनृणी भवेत ।।



गुरू शिष्य को जिस अक्षर से ज्ञान या प्रबोध देते हैं, जगाते हैं, उससे उऋण होने के लिए शिष्य पृथ्वी का कोई भी द्रव्य क्यों न समर्पित कर दे, फिर भी वह ऋण-मुक्त नहीं बन सकता।

Thursday 11 August 2016

1478_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

परमात्मा के स्वभाव में स्नेह और उदारता है। अपना स्वभाव भी वैसा बनाते जाएँगे तो परमात्मा में मिलते जाएँगे। यही जीवन की इतिकर्त्तव्यता है।

 -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Wednesday 10 August 2016

1477_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सच्चे धनवान

जिनके आगे प्रिय-अप्रिय, अनुकूल-प्रतिकूल, सुख-दुःख और भूत-भविष्य एक समान हैं ऐसे ज्ञानी, आत्मवेत्ता महापुरूष ही सच्चे धनवान हैं |

 -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu


Tuesday 9 August 2016

1476_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

परमात्मा के नित्यावतारूप ज्ञानी महात्मा के दर्शन तो कई लोगों को हो जाते है लेकिन उनकी वास्तविक पहचान सब को नहीं होती, इससे वे लाभ से वंचित रह जाते हैं। महात्मा के साक्षात्कार के लिए हृदय में अतुलनीय श्रद्धा और प्रेम के पुष्पों की सुगन्ध चाहिए।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Monday 8 August 2016

1475_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

शिवोहम

जिंदगी के सबसे अहम सवाल का जवाब हर सांस के साथ हमें मिलता रहता है कि जीवात्मा कुछ और नहीं, बल्कि परमात्मा का ही रूप हूं।






-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Sunday 7 August 2016

1474_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

चाँद सफ़र में, सितारे सफ़र में ।
हवाएं सफ़र में, दरियाके किनारे सफ़र में ।
अरे साधक ! जहाँ की हर चीज सफ़र में ।
 तो आप बेसफ़र कैसे रह सकते हैं ?


अभी तो जिसे तुम जीवन कहते हो वह जीवन नहीं और जिसे मृत्यु कहते हो वह मौत नहीं है । केवल प्रकृति मे परिवर्तन हो रहा है ।आप जिस शरीर को 'में' मानते हैं वह शरीर भी परिवर्तन की धारा मे बह रहा है । प्रतिदिन शरीर के पुराने कोस नष्ट हो रहे हैं और उनकी जगह नए कोस बनते जा रहे हैं । इस स्थूल शरीर से सूक्ष्म शरीर का वियोग होता है अर्थात सूक्ष्म शरीर देहरूपी वस्त्र बदलता है इसको लोग मौत कहते हैं और शोक मे फुट-फुटकर रोते हैं ।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Saturday 6 August 2016

1473_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

यज्ञार्थ कर्म

आँखों को बुरी जगह जाने नहीं देना यह आँखों की सेवा है। वाणी को व्यर्थ
नहीं खर्चना यह वाणी की सेवा है। मन को व्यर्थ चिन्तन से बचाना यह मन
की सेवा है। बुद्धि को राग-द्वेष से बचाना यह बुद्धि की सेवा है। अपने को
स्वार्थ से बचाना यह अपनी सेवा है और दूसरों की ईर्ष्या या वासना का
शिकार न बनाना यह दूसरों की सेवा है। इस प्रकार का यज्ञार्थ कर्म कर्त्ता
को परमात्मा से मिला देता है। 


-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Friday 5 August 2016

1472_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

धर्म
हम जो सत्कार्य करते हैं उससे हमें कुछ मिले – यह जरूरी नहीं है। किसी भी सत्कार्य का उद्देश्य हमारी आदतों को अच्छी बनाना है। हमारी आदते अच्छी बनें, स्वभाव शुद्ध, मधुर हो और उद्देश्य शुद्ध आत्मसुख पाने का हो। जीवन निर्मल बने इस उद्देश्य से ही सत्कार्य करने चाहिए।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Thursday 4 August 2016

1471_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जिनका जीवन आज भी किसी संत या महापुरुष के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सान्निध्य में है, उनके जीवन में निश्चिन्तता, निर्विकारिता, निर्भयता, प्रसन्नता, सरलता, समता व दयालुता के दैवी गुण साधारण मानवों की अपेक्षा अधिक ही होते हैं तथा देर-सवेर वे भी महान हो जाते हैं और जो लोग महापुरुषों का, धर्म का सामीप्य व मार्गदर्शन पाने से कतराते हैं, वे प्रायः अशांत, उद्विग्न व दुःखी देखे जाते हैं व भटकते रहते हैं। इनमें से कई लोग आसुरी वृत्तियों से युक्त होकर संतों के निन्दक बनकर अपना सर्वनाश कर लेते हैं।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Wednesday 3 August 2016

1470_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

संसार में माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी के सम्बन्ध की तरह गुरु-शिष्य का सम्बन्ध भी एक सम्बन्ध ही है लेकिन अन्य सब सम्बन्ध बन्धन बढ़ाने वाले हैं जबकि गुरु-शिष्य का सम्बन्ध सम बन्धनों से मुक्ति दिलाता है। यह सम्बन्ध एक ऐसा सम्बन्ध है जो सब बन्धनों से छुड़ाकर अन्त में आप भी हट जाता है और जीव को अपने शिवस्वरूप का अनुभव करा देता है।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Tuesday 2 August 2016

1469_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आया जहाँ से सैर करने, हे मुसाफिर ! तू यहाँ। था सैर करके लौट जाना, युक्त तुझको फिर वहाँ।
तू सैर करना भूलकर, निज घर बनाकर टिक गया। कर याद अपने देश की, परदेश में क्यों रुक गया।।
फँसकर अविद्या जाल में, आनन्द अपना खो दिया। नहाकर जगत मल सिन्धु में, रंग रूप सुन्दर धो दिया।
 निःशोक है तू सर्वदा, क्यों मोह वश पागल भया। तज दे मुसाफिर ! नींद, जग, अब भी न तेरा कुछ गया।।

Monday 1 August 2016

1468_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सच्चा भक्त अपने किसी अनिष्टकी
आशङ्कासे सन्मार्गका ईश्वर-सेवाका
कदापि त्याग नहीं करता।तन,मन,धन
सभी कुछ प्रभुकी ही तो सम्पति है,फिर
 उन्हें प्रभुके काममें लगा देनेमें अनिष्ट
कैसा?इसीसे यदि असहाय रोगीकी सेवा
करते-करते भक्तके प्राण चले जाते हैं
या भूखे-गरीबोंका पेट भरनेमें भक्तकी
सारी समपति स्वाहा हो जाते है तो वह
 अपने को बड़ा भाग्यवान समझता है।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
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