Saturday 17 September 2016

1509_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जिसने एक बार भी इस ब्रह्मविद्या को जान लिया, उसे मरने वाले शरीर में ʹमैंʹ बुद्धि नहीं रहती, दुःख उसे चोट नहीं पहुँचा सकते, सुख आकर्षित नहीं कर सकते। जिसे वाणी बयान नहीं कर सकती उस परमात्म पद में वह प्रतिष्ठित हो जाता है। 

  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Thursday 15 September 2016

1508_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

न मां दुष्कृतिनो मूढ़ाः प्रपद्यन्ते नराधमाः

जो नरों में अधम है, जो दुष्कृत्य करते हैं, जिनकी बुद्धि मलिन है, जो विकारी हैं, विलासी हैं, जिनको अपने मनुष्य जन्म की कीमत नहीं है वे मेरी शरण नहीं आते।


 श्रीकृष्ण

Wednesday 14 September 2016

1507_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


  परमपद
इस लोक के सुख-सुविधा, भोग , स्वर्ग का सुख, ब्रह्मलोक का सुख सब नश्वर है ऐसा तीव्र विवेक जिसे होता है उसके चित्त में सांसारिक सुखों के भोग की वासना नहीं होती अपितु परमपद को पाकर मुक्त हो जाएँ, ऐसी तीव्र लालसा होती है।

  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Monday 12 September 2016

1506_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


सम्राट के साथ राज्य करना भी बुरा है न जाने कब रुला दे।
संत के साथ भीख माँगकर रहना भी अच्छा है न जाने कब मिला दे।।

Sunday 11 September 2016

1505_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



भूल्या जभी रबनू तभी व्यापा रोग।

जब उस सत्य को भूले हैं, ईश्वरीय विधान को भूले हैं तभी जन्म-मरण के रोग, भय, शोक, दुःख चिन्ता आदि सब घेरे रहते हैं। अतः बार-बार मन को इन विचारों से भरकर, अन्तर्यामी को साक्षी समझकर प्रार्थना करते जाएँ, प्रेरणा लेते जाएँ और जीवन की शाम होने से पहले तदाकार हो जाएँ।

  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Saturday 10 September 2016

1504_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सतशिष्य के लक्षण

अमानमत्सरो दक्षो निर्ममो दृढसौहृदः । असत्वरोर्थजिज्ञासुः अनसूयुः अमोघवाक ॥

 
सतशिष्य मान और मत्सर से रहित, अपने कार्य में दक्ष, ममतारहित गुरु में दृढ प्रीति करनेवाला, निश्चल चित्तवाला, परमार्थ का जिज्ञासु तथा ईर्ष्यारहित और सत्यवादी होता है।

Friday 9 September 2016

1503_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

ईश्वरीय विधान

हम जब जब दुःखी होते हैं, जब-जब अशांत होते हैं, जब-जब भयभीत होते हैं तब निश्चित समझ लो कि हमारे द्वारा ईश्वरीय विधान का उल्लंघन हुआ है।

  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Thursday 8 September 2016

1502_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जीवन में जितना उत्साह होगा, साधना में जितनी सतर्कता होगी, संयम में जितनी तत्परता होगी, जीवनदाता का मूल्य जितना अधिक समझेंगे उतनी हमारी आंतरयात्रा उच्च कोटि की होगी।

  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Wednesday 7 September 2016

1501_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

शरीर को जगत की सेवा में लगा दो, दिल में परमात्मा का प्यार भर दो और बुद्धि को अपना स्वरूप जानने में लगा दो। आपका बेड़ा पार हो जायगा।

  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Tuesday 6 September 2016

1500_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

नामसंकीर्तन यस्य सर्वपापप्रणाशनम। प्रणामो दुःखशमनस्तं नमामि हरिं परम।।

जिन भगवान के नामों का संकीर्तन सारे पापों को सर्वथा नष्ट कर देता है और जिन भगवान के चरणों में आत्मसमर्पण, उनके चरणों प्रणाम सर्वदा के लिए सब प्रकार के दुःखों को शांत कर देता है, उन्हीं परमतत्त्वस्वरूप श्रीहरि को मैं नमस्कार करता हूँ।

Kali Santarana Upanishad

Monday 5 September 2016

1499_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

भारत का आत्मज्ञान एक ऐसी कुंजी है जिससे सब विषयों के ताले खुल जाते हैं। संसार की ही नहीं, जन्म मृत्यु की समस्याएँ भी खत्म हो जाती हैं। लेकिन इस परमात्मस्वरूप के वे ही अधिकारी हैं जिनकी प्रीति भगवान में हो।


  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Sunday 4 September 2016

1498_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

बहुजन्मकृतात् पुण्याल्लभ्यतेऽसौ महागुरूः।
लब्ध्वाऽमुं न पुनर्याति शिष्यः संसारबन्धनम।।

अनेक जन्मों में किये हुए पुण्यों से ऐसे महागुरु प्राप्त होते हैं। उनको प्राप्त करके शिष्य पुनः संसारबंधन में नहीं बँधता अर्थात् मुक्त हो जाता है।

Bhagwan Shivji

Saturday 3 September 2016

1497_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अड़सठ तीरथ जो फिरे, कोटि यज्ञ व्रत दान।
ʹसुंदरʹ दरसन साधु के, तुलै नहीं कछु आन।।

चाहे अड़सठ तीर्थ कर लो, चाहे करोड़ों यज्ञ, व्रत और दान ही क्यों न कर लो किंतु ये सब मिलकर भी संत दर्शन की बराबरी नहीं कर सकते। ऐसी दिव्य महिमा है संत दर्शन की !

संत सुंदरदासजी

Friday 2 September 2016

1496_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 चार महा द्वार

याद रक्खों निश्चय ,श्रद्दा ,विश्वास और आत्मस्वरूप की स्मृति
 ही तुम्हारी आत्मा की अनन्त शक्ति को प्रगट  करने वाले
चार महा द्वार हैं । इनकी शरण ग्रहण करो इनका आश्रय लो ।


  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Thursday 1 September 2016

1495_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

इस माया की दो शक्तियाँ हैः आवरण शक्ति और विक्षेप शक्ति। आवरण बुद्धि पर पड़ता है और विक्षेप मन पर पड़ता है। सत्कार्य करके, जप तप करके, निष्काम कर्म करके विक्षेप हटाया जाता है। विचार करके आवरण हटाया जाता है।

  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...